ये ज़िद्द है मेरी हवाओं में उड़ना चाहू
हाँ... ज़िद्द है मेरी घटाओं की तरह गरजना चाहू
ये ज़िद्द है मेरी मंज़िलो के लिए भटकना चाहू
हाँ...ज़िद्द है मेरी घर से बिना पते का निकलना चाहू
ये ज़िद्द है मेरी मुश्किलों से लड़ना चाहू
हाँ...ज़िद्द है मेरी गर्दिश हालात में भी मुस्कुराना चाहू
ये ज़िद्द है मेरी तुझे एक बार भूलना चाहू
हाँ... ज़िद्द है मेरी तुझे हर बार याद करना चाहू
ये ज़िद्द है मेरी तुझको न पाना चाहू
हाँ... ज़िद्द है मेरी तुझको न खोना चाहू
ये ज़िद्द है मेरी तुझमे ही रंगना चाहू
हाँ... ज़िद्द है मेरी तुझमे ही मिलना चाहू
ये ज़िद्द है अब तो ज़िद्दी होना चाहू।।।
-आशीष (@न्यू _पोएट_ऑन _अर्थ)
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