काली स्याही जैसी रात में जब
तूफ़ान समंदर में उठते हैं |
सन्नाटे की कोख़ से अक्सर
ज़ुर्म जन्म लिया करते हैं ||
उसी शहर की जान भी तब
मुर्दो की तरह सो जाते हैं |
तभी कहीं दूर से किसी मासूम की
चीख़ सिमट कर आती हैं ||
अचानक खुली आँख तब मेरी
थोड़ा सा घबराया था |
दरवाज़े की दर्रों से देखा तो
वो रोयी और...
CHEEKH - An Unbearable pain
